ट्रंप की 100% टैरिफ की धमकी है बिल्कुल बेबुनियादी, जानें इसके अन्य विकल्प
Donald trump india: GTRI ने रविवार को कहा कि अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की यह चेतावनी और अवास्तविक है, कि यदि ब्रिक्स समूह अमेरिकी डॉलर की जगह लेगा तो ब्रिक्स देशों पर 100% से ज़्यादा शुक्ल लगाया जाएगा। ग्लोबल ट्रेड्स रिसर्च इनीशिएटिव ने कहा है कि इस पैमाने के टैरिफ से केवल अमेरिकी उपभोक्ताओं को ही नुकसान होगा क्योंकि इससे आयत की कमी और कीमत बढ़ेगी। वैश्विक व्यापार बाधित होगा और प्रमुख व्यापारिक साझेदारी से प्रतिशोध का खतरा होगा।
क्या है BRICKS?
2009 में गठित ब्रिक्स एक मात्र ऐसा प्रमुख अंतरराष्ट्रीय समूह है, जिसमें अमेरिका हिस्सा नहीं है। इसके अन्य सदस्य दक्षिण अफ्रीका, ईरान, मिश्र, इथियोपिया और यूएई है। पिछले कुछ वर्षों में इसके कुछ सदस्य देश विभिन्न रूपों से रूस और चीन अमेरिकी डॉलर का विकल्प तलाश रहे हैं, या अपनी खुद की ब्रिक्स मुद्रा बना रहे हैं। भारत अभी तक इस कदम का हिस्सा नहीं रहा है। लेकिन शनिवार को ट्रंप ने भी ब्रिक्स देशों को इस तरह के कदम के खिलाफ चेतावनी दी है। तो वहीं GTRI के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि ब्रिक्स मुद्रा अपनाने वाले देशों पर 100% टैरिफ लगाने की ट्रंप की धमकी बिल्कुल बेबुनियादी और वास्तविक है। भारत के लिए विवेकपूर्ण दृष्टिकोण पारदर्शी और खुले मुद्रा विनियम की स्थापना करके स्थानीय मुद्रा व्यापार को व्यावहारिक बनाने पर ध्यान केंद्रित करना है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि भारत का सर्वोत्तम हित ना तो अमेरिकी डॉलर के प्रभुत्व में है और ना ही इस समय ब्रिक्स मुद्रा को पूर्ण रूप से अपने में है।
अमेरिका को ही होगा नुकसान
आपको बता दें कि वैश्विक व्यापार में 90% से अधिक लेन देन भले ही अमेरिकी डॉलर द्वारा किया जाता हो लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रयुक्त होने वाली वह एकमात्र मुद्रा नहीं है। इसके अलावा यह यूरो और ब्रिटिश पाउंड जैसी अन्य परिवर्तन नियम मुद्राएं भी वैश्विक वाणिज्य का अभिन्न अंग है। एक्सपट्र्स द्वारा कहा गया कि अमेरिका के कुछ ऐसे कदम है जिन्होंने कई देशों को अमेरिकी डॉलर के विकल्प तराशने पर मजबूर किया है। अमेरिका का इतिहास रहा है कि वह स्विफ्ट नेटवर्क जैसी वैश्विक वित्तीय प्रणालियों पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके एक तरफ प्रतिबंध लगाता रहा है, इसमें यह भी कहा गया है कि ब्रिक्स देश पर 100% टैरिफ लगाने से आर्थिक रूप से नुकसान हो सकता है और ऐसे डायरेक्ट से विश्व व्यापार के कुछ पहलू बाधित हो सकते हैं लेकिन अंतत इससे सबसे बड़ा नुकसान अमेरिका को ही होगा।